Sunday, January 09, 2005

सनकाऊ वक्तव्य

१. गरीबी - पैसे के अन्त मे बचा हुआ माह का हिस्सा.
२. पागलपन तेरी दशा नही है, तेरी मौज है.
३. आज का दिन आपकी अब तक की जिंदगी का आखरी दिन है.
४. क्या भगवान आप में आस्था रखता है?
५. स्वर्गवासी होने तक यहां आपका स्वागत है.
६. शायद मैं इस ग्रह से उतर नही पाऊंगा.
७. जीवन एक यौन संक्रमित बिमारी है और ये १००% आपकी जान ले लेगी.
८. इस पागल संसार मे समझ का क्या काम?
९. कायदे औसत आदमी के लिए हैं - मै तो अव्यव्स्था को भी समझ सकता हूं.
१०. जीवन गूँ का भंरवा पराठा, जितनी ज्यादा आटा-दाल उतना कम गूँ.
११. जब भी कोई अच्छी किताब पढो, अपने शिक्षक को धन्यवाद कहो, अगर वो अपना फोन नम्बर बदल कर असूचित ना करा ले.
१२. इतिहास खुद को दोहराता है क्योंकि तुम एक बार मे सुनते नहीं हो.

1 comment:

विजय ठाकुर said...

भरवाँ पराठा वाले सनकाऊ का जवाब नहीं।