Tuesday, February 22, 2005

काले-दीवस की रात...(एक तुकबंदी की ट्राई)

कालीचरण भाई ने पूछा है कि वेलेंटाईन डे के अगले दिन क्या हुआ, पिछले टैट्रम का क्या नतिजा निकला?

काली भाई झेलो उत्तर तुकबंदी जारी है
हाथरसी जैसी, बरसों में, ट्राई मारी है

तो वेलेन्टाईन रात घट गई घटना भारी
वो-वो सडे सुनाए गीत पक गई प्यारी
पक गई प्यारी बोली एक हमारी हो ले?
सुने तुम्हारे गीत अब हमरी सी डी तौलें?

मुर्ग-मखनी तैयार है डिन्नर खाईये
हमे गज़ल सुनना है अब आप जाईये
कह कर चढाई सी डी गज़ल दी बजा
ये प्रेम-गीत बज उठा माहौल में सजा -


पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाईये
फ़िर जो निगाह-ए-यार कहे मान जाईये

पहले मिज़ाज-ए-राहगुज़र जान जाईये
फ़िर जो भी कर्द-ए-राह कहे मान जाईये

इक धूप से जमीं है निगाहों के आस-पास
ये आप हैं तो आप पे कुर्बान जाईये



फ़िर, देररात फ़िल्म टिकट वो दो ले आईं
बोलीं जीवन भर जीयोगे अक्खड की नाईं?
अक्खड की नाईं, स्वामी तुम रहते आए
च्वाईस बुरी रही हमारी - वैसे ही भाए!

फ़िल्म देख लें आज 'काला-दीवस' है
तुमसे सनकी पर कहो किसका बस है!
फ़िल्म देखते-देखते तारीख १५ लग गई
यही है जीवन मित्र, रात गई बात गई!

3 comments:

Atul Arora said...

जय हो, कसर खाली इस गीत को आपकी मधुर आवाज में पूरे रुर में रिकार्ड करके ब्लाग रेडियो में डालने की रह गयी है| ऐसे आईटम मिले तो ब्लाग रेडियो हिट हो जायेगा|

Raman said...

आपके वैलेंटाइन डे के दोनों लेख देख के, ये लाईन याद आ गई जो 'जीना इसी का नाम है' नामक प्रोग्राम में मलायका अरोड़ा अपने पति के लिये कहती हैं.

'आई एम मैरीड टू दिस पकाऊ'

वैसे कभी कभी हमारी श्रीमतीजी भी ये फ़ब्ती कस देती है :)

eSwami said...

गीत कडी