Saturday, February 05, 2005

इक बंगला बने न्यारा ...

मेरी बस एक रात के रतजगे का नतीजा है हिंदिनी का श्री गणेश!

आजकल आपके ब्लाग के प्रबंधन के कई साफ़्टवेयर उपलब्ध हैं. आपकी साईट हिंदी मे होगी, आपको बिल्कुल ज्यादा मगजमारी करने कि जरूरत नही है - दोस्तों पे भरोसा करो और वर्डप्रेस को चुनो! ये मुफ़्त का हीरा है - जिसको चमकाने वाले लोग आपके अपने हैं. और ये दुनिया के किसि भी ब्लागिंग साफ़्टवेयर से टक्कर ले सकता है! आप ब्लागर बंधुओं जैसी सहायता नही पा सकते - ये मेरे अनुभव के आधार पर बता रहा हूं. क्यों की हमारे लोग सारी दुनिया मे रहते हैं और संपर्क मे होते ही हैं सो रात के २ बजे भी कोई दिक्कत नही होगी. एक और फ़ायदा कि आप चाहें तो अपना या सामूहिक ब्लाग या लेखन प्रबंध कर सकते हैं.

सबसे पहले अपनी खुद की साईट खडी करने का फ़ायदा क्या है जब की ब्लाग-स्पाट मुफ़्त की जगह और टूल देता है!

फ़ायदा है -
१. आपके एक स्थाई और गंभीर ब्लागचिए होने का पहला सबूत आपका डामेन होता है. एक कडी जो आपके ब्लाग से ही जुडी हो बस.
२. आपका अपने ब्लाग कि सज्जा पर पूरा नियंत्रण और आप के पास ब्लाग से संबंधित ई-मेल आईडी.
३. आपके फोटो, ब्लाग, अन्य फ़ाईलें रखने का आपका अधिकार क्षेत्र.
४. ब्लाग तो क्या आप अपने व्यवसाय की जालस्थली, मित्रों के ब्लाग, और कई दूसरी जरूरतों के लिए इस स्थान का प्रयोग कर सकते हो.
५. मनचाही एप्लिकेशन्स और टूल्स का प्रयोग कर सकते हो.
६. तर्क संगत वर्गीकरण पोस्ट्स का!

सबसे पहले एक साईट का नाम रजिस्टर करवाया.
फ़िर साईट को किस कंपनी के सर्वर पे रखना है वो तय किया.

अपनी साईट का नाम सोचिए और नाम को रेजिस्टर करवा लीजिए.
फ़िर साईट का डाटा कहां रखा जाएगा वो तय कर लीजीए.

जब भी ये काम करना हो, अक्षरग्राम पर एक पोस्ट कर दीजिए, एकाधिक लोगों का जवाब आने दीजीए और अपनी गूगालबाज़ी चालू रखिए, आप कोई भी ऐसा काम नही कर रहे जिस पर किसि और ने अपना हाथ ना आजमाया हो, आपको तत्काल सही भाव वाली साईटों की जानकारी मिल जाएगी. फ़िर इसी बहाने इन कंपनियों के रीव्यु इत्यादी भी मिल जाते हैं.

आपको दोनों कंपनियों की साईट पे कुछ फ़ार्म भरने होते हैं फ़िर वो आपको बता देतें हैं कि आपका काम करने मे उनको कितनी देर लगेगी. वैसे ये दनादन मेलें भेज देते हैं ४-५ मेल - जिसमे सारी जानकारी होती है. आसान है.

जब ये दोनो काम हो जाए तो अब आपको ये जमाना है कि जब कोई आपकी साईट क पता डाले अपने ब्राउजर पर तो वो आपके होस्ट तक पहुचे. ये करना बहुत आसान होता है.
जब आप नाम रजिस्टर करवाते हो तो वो कंपनी एक पेज दिखाने लगती है - "शीघ्र आ रही है ... आपकीसाईटकानाम.आपकीसाईटकाप्रकार" आपकी साईट होस्ट करने वाली कंपनी आपको दो पते देती है जो नेमस्पेस कहलाते हैं .. आपको ये पते अपने रेजिस्टर करने वाली साईट पे लाग ईन कर के डाल देने होते हैं. बस! कोई दिक्कत आए तो अक्षरग्राम है या आप कंपनी से संपर्क कर सकते हो.


मैने २-३ लाईनों की ई-मेल की जीतू भाई को, कि अगली स्टेप क्या होगी - और जवाब मिल गए!

are yaar, aaj kal fantastico naam ki scripts milti hai, web par.
u do not need to do anything, except run such script. they would do
everything for you. Raman Kaul has more information about these
fantastico script.

चूंकी हम वर्डप्रेस का प्रयोग करेंगे सो मैने पहले ही php/mysql होस्ट करने वाले कंपनी चुनी. कंपनी वालों के पास ८० से अधिक साफ़्टवेयर और उनको लगाने कि १-२ बटन दबाउ स्क्रिप्ट भी थी ना हो तो आप उस को इन्टर्नेट से ले सकते हो. मैनें ये स्क्रिप्त सूची मे देखी और लो जी वर्ड्प्रेस इन्स्टाल हो गया. १ पेज का फ़ार्म भरा कि जी हमरा नाम ये और साईट का नाम ये दिखा दो ,आप अपने आभी के ब्लाग का डाटा भी नए ब्लाग पे ला सकते हो. लो जी बन गया नया घर.

अब बात आई हिंदीकरण की, अक्षरग्राम पे जितू भाई बता रहे हैं वर्ड प्रेस १.५ की मदद और हमारी स्क्रिप्ट ने लगाया था १.२ - पल्ले नही पडा क्या हो रहा है - फ़ाईलें किधर हैं? फ़िर पंकज जी को फ़ोन घुमाया, मुझे बात साफ़ हुई, जितू भाई से संपर्क किया और हम १.२ को १.५ बनाने और हिंदीकरण मे जुटे. आपको तो और भी आसानी होगी. रमन जी ने ताजे १.५ का हिंदीकरण कर दिया है. आपका काम तो अब बिल्कुल सीधे-सीधे हो जाएगा.

मेरी बस एक सलाह है, जब भी आपका ब्लाग या साईट शुरु करने का मन हो किसि भी जरूरत के लिए, आप साथियों से मदद लेने मे हिचकिचाओ मत.

यहां पर सब प्रोफ़ेशनल खब्ती हैं - हर एक की अलग गुणवत्ता है, रमणजी और पंकज जी आलराउन्डर हैं.

जितू पेलवान, रीमोट डेवलपमेंट के उस्ताद, याहू मेसेन्जर से सब हेण्डिल करते हैं, माने हुए ओपनर हैं. गुस्सा आ जाए तो सेंचुरी मार कर ही दम लेते हैं और नए खिलाडी पे लोड नही आने देते, मेरी नैया इन्होने ही पार करवाई - उस पर तो एक अलग पोस्ट बनती है, मूड बना कर लिखुंगा - अदा भी निलारी है, पेटर्न कुछ यूं है - "यार तुमने ऐसा क्यो किया"... "चलो कोई नी" ... "गूड".. "फ़िर....ये क्यो किया"... "चल कोई नी"... "गूड" .. हा हा और एक बार तो खुद ने फ़ाईलें भलती जगह डलवा दी और हम दोनो कि हंस हंस के हालत खराब, काम अनुशासित तरीके से पक्का करते हैं. सच एक बहुत मजेदार पोस्ट बनेगी उस रात वाल पूरे वाकये पर. बहुत मददगार; मजेदार शख्सियत है इनकी! हां भाव पहले तय कर लेना बडे भाई की मदद लेने से - मजाक मे बोले अब १०० डालर भेजो फ़ीस के. हा हा हा. सच मदद और राय तो २०० डालर वाली थी इनकी. और हंसा हंसा के खून इतना बढा दिया कि अगले दिन रक्त दान का मूड बना रहा.

अतुल जी के बाउन्सर फ़्लेश प्लेयर को तो आप देख ही चुके हो. हाँ, दुर्लभ दर्शन देव बाबू का चिट्ठा-विश्व देख कर दिल खुश हो जाता है, जावा के धनी लगते हैं.

बस ये सपना है कि हिंदी के कुकुरमुते तो क्या पीपल और बरगद जैसी साईट्स बनें टूल्स बनें - बिल्कुल भी असंभव नही है.

1 comment:

Jitendra Chaudhary said...

बहुत अच्छे मिंयाँ, लगे रहो.
बहुत अच्छा लिखे हो...लेख सही है

बेटा अबकि कौनो इन्सट्लेशन आयेगा तो तुम्हे ही टिकाया जायेगा,
इसलिये अब शिष्य से गुरू बनने की तैयारी कर लो.