Thursday, February 24, 2005

अक्षरग्राम अनूगूँजः छठा आयोजन - मेरा चमत्कारी अनुभव


चमत्कार वो घटना जो अद्भुत रस की उत्पत्ती करे. चमत्कृत व्यक्ति क्षणिक निर्विचार की स्थिती से गुजरता है. अनुभूती विचार पर प्राथमिकता पा लेती है - यह हमारे और पाश्चात्य संस्कृती के मूल फ़र्कों मे से एक है, हम चमत्कृत हो कर खुश हैं वो चमत्कृत कर के. हमने निर्विचार पकडा उन्होंने जुगत. हमने मन के पार जाना चाहा उन्होंने तन-मन लगा कर हमारा धन लूटा. Akshargram Anugunj


फ़िर हम मे से अधिकांश मन के पार जाने लायक तैराक नही थे सो विचारहीनता को निर्विचार की जगह रख अब भाग्यवादिता के सहारे कटने लगी और इसे भक्तिरस का सुन्दर टेग लगा दिया "अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काज, कह गए दाज मलूक जी सब के दाता राम". हम लुट कर खुश हो गए! कथा पता नही कितना सच है, हार के फ़्रस्टेशन में आतताई गोरी नें फ़ाईनली गायों को आगे कर हमले किया किए और गो माता के भक्त लडाके तलवार छोड कर सोमनाथ के मंदिर के सामने दंडवत हो लिए - "बचई ल्यो प्रभू बचई ल्यो तिहार भगत जो रहिन हम" मगर जब जरूरत थी तब कोई चमत्कार नही हुआ, कर्म से ही चमत्कार होते हैं. वीर रस भक्ति रस के आगे नतमस्तक हो गया -इस में भयंकर रस का कोई हाथ नही था.. एनी-वेज.. एक्चुली, बात करनी है चमत्कारी अनुभव के बारे में! तो कब चमत्कृत हुए बताना है - ठीक है!

अपने अनुभवों में अनुशासित क्रियाशील 'भक्तों' का जिक्र है- भारत में रह कर ऐसे एक-दो 'चमत्कारी' अनुभव ना हों तो मजा ही क्या? भूत-प्रेत, टोना-टोटका, तंत्र-मंत्र झाड-फ़ूंक बहुत ही विविध है हमारी गुप्त-विद्याओं का बाजार-मेला. विश्वास करने या ना करने का प्रश्न नही है - किस्सागोई का तो बहुत ही सटीक मसाला है, इस हिसाब से रमण भाई ने बहुत सही विषय चुना है!

हमारा किराए से चढा दुमंजिला मकान पारिवारिक आय में अपनी भूमिका निभाता था. उपर वाले हिस्से में एक परिवार आया, फ़िर नीचे वाला हिस्सा खाली हुआ पर १.५ साल तक किराए से नही चढा! पिताजी परेशान हुए, एक भक्त उनके मित्र हुआ करते थे, दोनो कार में साथ मकान के इलाके में कहीं जा रहे थे, हम साथ थे, बातों बातों मे पिताजी ने बताया की अच्छा भला मकान किराए नही चढ रहा. उन्होंने यूं ही मकान देखने की इच्छा जाहिर की. कार मकान के सामने रोकी गई. मकान में घुसते ही देखा उपर वाले किराएदार ने नीचे सुंदर गमले सजा रखे थे. तो उन्होंने एक गमले की तरफ़ इशारा कर के कहा - इसे दूर ले जा कर फ़ोड दें - गमला तोडा तो पाया गया उसमें सिंदूर वगैरह उल्टी सीधी टोना टोटका किस्म की चीजें निकलीं. ४८ घंटे मे ३-४ लोगों ने मकान किराए पर लेने के बाबद संपर्क किया. बाद में उपर वाले किराएदार से जवाब-तलब करने पर वो बोले "हमारी बिटिया जवान है, विवाह लायक है हम नही चाहते थे कि कोई और परिवार निचले हिस्से मे आ कर रहे हमनें मकान का निचला हिस्सा 'बंधवा दिया था'- जमाना खराब है साहब" .. बताईये! तो पिताजी नें उन्हें कहा 'हमने खुलवा लिया है' और ससम्मान सटक लेने को कहा. हम उग्र होना चाहते थे - चुप करा दिए गए, जैसा हमारे यहां होता था, "बडे बात संभाल रहे हैं ना!" खैर ऐसे किस्से आपने भी सुन रखे होंगे - एक और सही - अब ये भक्त अंकलजी से हमारी पटती थी, पूछा ये एक्स-रे विजन कैसे मिलता है गमले के आर-पार देखने वाला? बोले रोज सुबह ३ बजे उठ कर ध्यान करने से!

एक नेत्रहीन भक्त और हैं, ये तो बहुत ही जबरदस्त किस्म की आईटम हैं - इनकी करामातों में मेरे विवाह से पूर्व मेरी होने वाली पत्नी का विवरण बता देना, मुझसे फोन पे बात करते करते मेरे हाथ मेरे सिर पर हाथ रखे होने के बारे में बोल देना. वेतन कब कितना बढेगा बता देना वगैरह है. और भी बातें मेरे बारे मे बता चुके हैं जो देखना है कितनी सही निकलती हैं.

एक बार हम इनके साथ एक परिचित के घर बैठे थे, ये बोले चाय का पानी जितने लोग बैठे हैं उस से ४ कप ज्यादा के लिए रख देना. सो जब तक चाय बनी दरवाजे पे दस्तक हुई और ३ अतिथि अंदर आए, ४था कप ड्राईवर का था. बडी मजेदार बात है, इनके इस तरह के कमाल कर देने के आस-पास वाले लोग इतने आदी दिखे - सहजता से चमत्कारों के मजे लिए जा रहे हैं! ये बताते थे ७ साल की उम्र से साधनारत हैं. बिल्कुल मान सकता हूं.

मजेदार बात है ऐसे व्यक्तित्व वाले लोगों के संपर्क में बिना किसी कोशिश के आया और समय के साथ संपर्क छूट गया. बस ऐसे २-४ मजेदार अनुभव याद रह गए.

2 comments:

मिर्ची सेठ said...

सही है बाबू। उन परिचित अंकल जी को भी ब्लॉग लिखने की सलाह दे दीजिए। लोग बाग टिप्पणियों से प्रश्न पूछ लिया करेंगे :D

Jitendra Chaudhary said...

कई बार ऐसे किस्से देखे है कि लगता है कि साइन्स फेल है इन सबके आगे.
लेकिन हर बार मै इन सभी किस्सों को हाथ की सफाई मानकर, इन्नोर मारा करता था, लेकिन फिर भी बार बार देखकर दिमाग चकराता है,दिल मानता है,दिमाग इसे दृष्टिभ्रम समझता है.अब रामजाने सच्चाई क्या है?