Thursday, March 03, 2005

ब्लागनाद काण्ड और अतुलजी के अनुगूंज प्रस्ताव का अनुमोदन


जन्नतनशीं दादाजी कहते थे - "दुनिया में दो किस्म के लोग होते हैं - रायचंद और करमचंद - करमचंद बनना और करमकचंदो से मित्रता रखना! " दादाजी को निराश करने का कोई मूड नही रहा.

अनूप जी का पीला वासंती चांद पढा था और पंकज जी का आडियो ब्लाग सुना फ़िर 27 जनवरी 2005 को अक्षरग्राम पर एक संभावना तलाशी -


कल्पना कीजिये कि आप जो भी अपने ब्लाग पे पेलते हैं वो आपने एक .mp3 मे भी रेकार्ड किया.
अब ऐसी सभी recorded .mp3 की स्ट्रीमिन्ग ठीक उसी तरह आन-लाईन रेडियो के रूप मे कर दो, जैसे हम नये ताज़े RSS Feed दिखा देते हैं चिट्ठा विश्व के माध्यम से. इस के लिये पहले .MP3s को किसि भी सर्वर पे चढा दो और उसकी लिन्क के साथ कुछ “RSS Feedनुमा” करो, या जो भी बेहतर उपाय हो ऐसा करने का!
Streamer कि लिन्क दे दो, जो रेडिओ जैसा बजेगा आपके प्लेयर पे, सबसे ताज़ा
updated .mp3 सबसे पहले! तो आपका हिन्दी ब्लाग रेडिओ बन गया. Headphones लगाओ और पीला वासन्ती चाँद अनूपजी की आवाज मे सुन लो - आवाज़ का उतार-चढाव भावनाऒ का बेहतर संप्रेशन. अगली .mp3 नरुलाजी की!


फिर सोचा संभव तो होना चाहिए ये करना और उसी दिन के आस-पास ही अतुल भाई ने घोषणा कर दी की हाँ सँभव है!

शुरु से अतुल भाई तकनीकी तौर पर छा गए - मेरी फाईल-नाम की जगह कडी के पते से बजवाने की गुजारिश भी पूरी कर दी ये एक खास टर्निँग पाईंट था, प्लेयर भी शानदार पेल दिया - प्लेयर जान् है पूरे प्रकल्प की - अब प्लेयर ने काफी सीन सँभाल लिया है - जहाँ से जो जी मे आए बजाओ!

अतुल भाई का प्लेयर बन कर तैयार हुआ और जीतू भाई अधीर भए - मुझे आदेश मिला कि पीछे का कोड लिखो - और फटाफट पहला चरण तैयार करो. भई पढूँ तो करूँ मुझे आटोमेटिक मीडिया फीड के बारे मे कुछ ज्यादा नही पता था! बोले नही यार पहले सादा काम करो - पहले प्रकल्प दिखाओ फाईल लोड करने का पेज बनाओ - मैने निवेदन पेला भई पेज बाद में गूगल का 1 जीबी ई-मेल कब काम आयेगा "बडे भाई, ई-मेल मे फाईल मँगवा और आटोमेटिक क्षमल बनवा कर सुनवा दूं ताबडतोड?" जीतू भाई की चेट क्या होती है प्रोजेक्ट मेनेजमेंट होता है खुले दिल से आईडिए इधर-उधर होते हैं. बात तय हुई नाम तय हुआ ब्लागनाद - बकायदा डेड-लाईन तय हुई, मेरे पास एक और प्रोजेक्ट अपना समय ले रहा था और उपर से दफ्तर! जीतू भाई उतरे मैदान में KISS - Keep It Simple Stupid का फंडा-झंडा ले के! बीटा रीलीज देख कर तबियत प्रसन्न है. अनूपजी के अंदाज में कहूँ तो - "आगे भी शुभ होगा!" या अपनी स्टाईल मे- "ये तो बस अंगडाई है - आगे और लडाई है!" :-)


अभी मामले खत्म नही हुए - आपको सुनाने के लिए एक और खुशखबरी तैयार हुई-हुई ही समझो - थोडा इन्तजार!

अतुल भई के आईडिए का मैं अनुमोदन करता हूँ - अनुगूंज को ब्लागनाद पर भी लाया जाए - या ब्लागनाद की तकनीक अनुगूंज जहां भी हो वहां मुहैया हो! - आईडिया मुझे पस‍ंद है पर तय करना मेरा काम नही है! मेरा स्वार्थ तो अनूप जी की आवाज में पीला वासंती चांद सुनना था - अनुग्रहित करो देव!

आपने मुझे इतने प्रेम से पढा और ब्लाग रेडिओ के स्वप्न को साकार कर दिया - आभार!

4 comments:

Jitendra Chaudhary said...

देख भइये, आज के जमाने मे राय भी महत्व रखती है.इसलिये तुम्हारी राय का भी भरपूर प्रयोग हुआ, इसलिये इस ब्लागनाद मे तुम्हारा नाद भी शामिल है.अभी ब्लागनाद का बीटा वर्जन ही सामने आया है, काफी काम करना बाकी है, इसलिये उस पर बात फिर कभी.
रही बात अनूगूँज की, तो बच्चा मना किसने किया है, अपना लेख अपने पेज पर लिख दो और अनूगूँज की, और अपनी प्रविष्टि भेज दो ब्लागनाद को. कोई भी अच्छा काम शुरु करने के लिये किसी का मुँह नहीनही ताका करते, तपाक से कर गुजरते है.अब देखें ब्लागनाद पर सबसे पहले किसकी प्रविष्टि आती है अनुगूँज की.

अनूप शुक्ल said...

बडे बीहड आदमी हो यार तुम लोग.कुछ सोचा नहीं कि लपक लिये करने को.बधाई तथा वाह-वाह.जल्द ही मैं पीलावासन्तिया चांद के अलावा भी बहुत कवितायें जिनके कैसेट मेरे पास हैं भेजने का प्रयास करूंगा.पहले जरा सीख लूं.तब तक तुम खुश,गदगदायमान हो जाओ इतनी तारीफ भेज रहा हूं.यह तारीफ का पैकेज अतुल,जीतेन्द्र तथा तुम्हारे और हमरे लिये भी है.

Tarun said...

अरे घन्य हौ तुम करमचन्दों, लेकिन साथ मे गाजर लेना न भूलना, गाजर और करमचन्द का साथ जैसे हीर-राझां या फिर वीर-जारा॥ Great Work Guys.

Kalicharan said...

साबास रामगङ के शेर जोरदार काम पर लगे हो | जीतू भैया की आवाज तो सुन लिऐ हम अन्य महानुभावों की आवाज का ईन्तजार है |